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हापुस आम की पूरी जानकारी (अल्फांसो - Alphonso Mango information in Hindi)

हापुस आम की पूरी जानकारी (अल्फांसो - Alphonso Mango information in Hindi)

दोस्तों आज हम बात करेंगे हापुस आम की, वैसे तो भारत देश में विभिन्न विभिन्न प्रकार की आमों की किस्मे उगाई जाती है। लेकिन हापुस आम सबसे प्रसिद्ध है। हापुस आम की विभिन्न विशेषताएं जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे:

हापुस आम की जानकारी

हापुस आम को अलफांसो के नाम से भी जाना जाता है। हापुस आम की मिठास बहुत ही ज्यादा समृद्ध होती है और यह खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट लगता है। अपने स्वादिष्ट  स्वाद के चलते हापुस आम अंतरराष्ट्रीय बाजारों और मार्केट तथा दुकानों में अपनी अलग जगह बनाए हुए हैं। हापुस आम भारत में सबसे महंगा तथा अच्छे दाम पर बिकने वाली आम की पहली किस्म है। हापुस आम दिखने में केसरिया रंग का होता है। हापुस आम की किस्मों का उत्पादन महाराष्ट्र जिले के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग एवं देवगढ़ और रायगढ़ जैसे जिलों में हापुस आम की फसल उगाई जाती है।हापुस आम की फसल से किसान आय निर्यात का अच्छा साधन स्थापित कर लेते हैं। हापुस आम की फसल किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।

हापुस आम का वजन

बात करे यदि हापुस आम के वजन की तो इनका वजन करीब 150 ग्राम से शुरू होकर 300 ग्राम तक का होता है। या फिर उससे अधिक भी हो सकता है हापुस आम वजन में काफी अच्छे होते हैं। हापुस आम अपनी मिठास , स्वादिष्ट स्वाद, बेहतरीन खुशबू के लिए तो प्रसिद्ध ही हैं। परंतु हापुस आम में एक और बड़ी खूबी यह भी है। कि पूरी तरह से पक जाने के एक हफ्ते बाद तक रखने पर या खराब नहीं होते हैं।हापुस आम अपने इस बेहतरीन और खास गुण के चलते मार्केट में महंगे दाम पर बिकता है। हापुस आम दर्जन और किलोग्राम दोनों ही तरह से मार्केट में भारी कीमत पर बिकते हैं। प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार हापुस आम की कीमत 2021 में लगभग थोक बाजारों में ₹700 दर्जन के हिसाब से थी। हापुस आम अपने भारी वजन के चलते दाम में बढ़कर मिलते हैं।

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विदेश में हापुस आम की बढ़ती मांग

हापुस आम को ना सिर्फ भारत में अन्यथा विदेश में भी खूब पसंद किया जाता है और इसकी खूबी और पसंद के चलते करीब हर साल यह पांच 50000 टन के हिसाब से विदेशों में खाए जाते हैं।आंकड़ों के मुताबिक यह कहना उचित होगा। कि हापुस आम ना सिर्फ भारत अन्यथा विदेश देशों में भी अपनी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है। हापुस आम अप्रैल से लेकर मई के महीने तक पककर पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं और यह करीब जून-जुलाई के बीच बाजार में आना शुरू हो जाते हैं। किसानों से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार हापुस आम महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में सिंधुगण जिले के देवगढ़ तहसील के कम से कम 70 गांवों में 45000 एकड़ की भूमि पर हापुस आम को उगाने का कार्य किया जाता है। यह मार्ग लगभग देवगढ़ समुद्र तट से लगभग 200 किलोमीटर अंदर जाकर पड़ता है। इन जिलों में पैदा होने वाले हापुस आम सबसे बेहतरीन किस्म के होते हैं जिनका कोई और तोड़ नहीं होता है।

हापुस आम की पैदावार करने वाले प्रदेश

हापुस आम की पैदावार महाराष्ट्र  प्रदेश के गुजरात के वलसाड़ तथा नवसारी में, रत्नागिरी में हापुस आम की भारी मात्रा में पैदावार होती है। आय की दृष्टि से देखें तो हर साल लगभग 200 करोड़ रुपए का हापुस आम से निर्यात होता है। कुछ ऐसे प्रदेश है जहां से हापुस आम का निर्यात होता है जैसे; दुबई सिंगापुर मध्य एशिया इन देशों से भी हापुस आम के ज़रिए अच्छा निर्यात किया जाता है। विदेशों से लगभग हापुस आम की खपत साल के हिसाब से लगभग 50000 टन से भी ज्यादा अधिक होती है। हापुस आम का जाना माना और मुख्य कारोबार का क्षेत्र नई मुंबई का वाशी स्थित कृषि उत्पादन बाजार है। हापुस आम का उत्पादन कृषि उत्पादन बाजार समिति द्वारा होता है।

हापुस आम की पहचान

हापुस आम की पहचान, हापुस आम की सुगंध से की जाती है। यह सुगंध में बहुत ही अच्छे होते हैं। जिसके चलते हैं आप हापुस आम की पहचान कर सकते हैं। हापुस आम की पहचान इसके पल्प केसरी रंग और बिना रेशेदार होने से भी की जा सकती है। यह कुछ विशेषताएं थी जिसके चलते आप हापुस आम आपकी पहचान कर सकते हैं।

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जीआई टैग क्या है

जीआई टैग या फिर भौगोलिक संकेत क्या होता है? जीआई टैग या फिर भौगोलिक संकेत एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा उत्पादन के क्षेत्र से संबंधित जानकारी दी जाती है। यह टैग या फिर विशेष जानकारी किसी ऐसे क्षेत्र से संबंधित उत्पाद को दी जाती है। इसके अंतर्गत उस विशेष उत्पाद गुणवत्ता या फिर प्रतिष्ठा या और भी किसी विशेषताओं को आम तौर पर कहे तो उत्पादन की भौगोलिक या फिर अन्य उत्पत्ति के लिए कसूरवार ठहराया जाएं।

जीआई टैग वाले हापुस आम

प्राप्त की गई जानकारियों के मुताबिक जीआईटैग वाले कुछ केंद्र भी स्थापित किए जा सकते हैं। इस केंद्र के जरिए किसान अपना आम अच्छे दाम पर बेच सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि क्यूआर कोट को भी स्थापित किया जाएगा। जिसका इस्तेमाल कर पता लगाया जा सकता है कि यह सच में जीआई टैग वाले आम की है या फिर नहीं। हापुस आम कि यह जीआईटैग वाली क्यूआर कोट सर्विस इसकी उपयोगिता को और भी बढ़ाती है। क्यूआर कोट के जरिए  ग्राहक स्कैन कर सीधा  पता कर सकते हैं। कि यह हापुस आम की किस्म किस खेत और इसका सही मालिक कौन है।

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हापुस आम की विशेषताएं

हापुस आम ना सिर्फ खाने में स्वादिष्ट, बल्कि इसमें विभिन्न प्रकार के औषधि गुण मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक होते हैं। हापुस आम में पूर्ण रूप से आयरन मौजूद होता है। यदि गर्भवती महिला इसे सेवन करती है तो उसके स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभदायक होते हैं। हापुस आम में उच्च मात्रा में फेनोलिक यौगिक पाया जाता है जो  एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। जो कैंसर जैसी भयानक बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा हापुस आम वाला आर्टिकल पसंद आया होगा। इसमें हापुस आम से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां मौजूद है। हमारी दी गई जानकारियों से यदि आप संतुष्ट है तो हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर और अपने दोस्तों के साथ शेयर करते रहें।
अब आम खाने के लिए गर्मियों का इंतजार नहीं, पूरे साल मिलेगी जबरदस्त वैरायटी

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आम का स्वाद और आम के लिए पूरे सीजन का इंतजार करना, सिर्फ एक आम प्रेमी ही समझ सकता है. वैसे आम की खेती से सिर्फ एक बार ही फल मिलता है. लेकिन उन आम प्रेमियों का क्या, जो पूरे साल आम की डिमांड करते रहते हैं. जिसे देखते हुए आम को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. लेकिन यहां बात किसानों की करें तो उन्हें तो इसकी खेती से साल भर में सिर्फ एक बार ही कमाई होती है. लेकिन किसानों की इस समस्या का भी हल निकल चुका है. जहां देश में उपस्थित राजस्थान और कोटा के किसानों ने एक बड़ी उपलब्धी हासिल कर ली है. जानकारी के मुताबिक कोटा और राजस्थान के किसानों ने आम की एक खास वैरायटी तैयार की है. जिसके चलते अब बिना सीजन के भी आम का बंपर उत्पादन किया जा सकेगा. इस आम की वैरायटी बारोमासी यानि की सदाबहार बताई जा रही है. आम की इस वैरायटी को साइंटिस्ट श्रीकृष्ण सुमन ने तैयार किया है. साइंटिस्ट की मानें तो इस वैरायटी के आम के पेड़ों से साल भर में कम से कम तीन बार उत्पादन हो सकेगा. इसका मतलब साफ है कि, अब आम की खेती से एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार मुनाफा कमाया जा सकेगा.

खास वैरायटी के आम की खास बातें

इस सदाबहार आम की प्रजाति एक तरह की बौनी प्रजातियों में से एक है. इसका मतलब इस तरह के पेड़ों की लंबाई ज्यादा ऊंची नहीं होती. इसे कीचन गार्डन में भी लगाया जा सकता है. लंगड़े आम की तरह दिखने वाले सदाबहार आम का रंग भी नारंगी होता है. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में है. अगर कोई किसान अपनी एक हेक्टेयर की जमीन पर इस वैरायटी के आम के पेड़ों की खेती करता है तो इसे लगभग पांच से सात टन फलों की पैदावारी मिल सकती है. ये भी देखें: आम की खेती: आमदनी अच्छी खर्चा कम

इतना खास क्यों सदाबहार आम?

हाल ही में कोटा में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग ने दो दिवसीय कृषि महोत्सव प्रशिक्षण और प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस दौरान साइंटिस श्रीकृष्ण सुमन ने भी सदाबहार आम के पेड़ को प्रदर्शनी में दर्शाया. उन्होंने बताया कि, यह पौधा अन्य आम के पौधों की किस्मों के मुकाबले दोगुनी तेजी से बढ़ता है और दो साल के अंदर ही फल देने लगता है. सदाबहार आम के लिए सिर्फ गोबर की खाद ही काफी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि, ऑफसीजन में इस किस्म के पेड़ में फल लदे होते हैं. जिसके चलते किसान साल में तीन बार मोटी कमाई कर सकते हैं.